रक्त विकार (खून की खराबी)
रक्त विकार (खून की खराबी)
BLOOD POISONING
परिचय :-
रक्त विकार अर्थात खून में दूषित द्रव्य बनना। खून में दूषित द्रव्य बनने के कई कारण होते हैं। सूक्ष्म कीटाणु फैलने के कारण यह रोग होता है। जब किसी रोगी का खून दूषित हो जाता है तो फुंसियां हो जाती हैं, किसी को फोड़े निकल आते हैं, किसी को ऐसे फोड़े हो जाते हैं जो किसी साधारण दवा से ठीक ही नहीं होता। इस तरह विभिन्न कारणों से उत्पन्न रक्त विकार को दूर करने के लिए होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग करने से लाभ होता है।
होमियोपैथि से रोग का उपचार
हिपर सल्फ-
खून दूषित होने के कारण कई प्रकार के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। रोगी की त्वचा पर घाव हो जाता है जो धीरे-धीरे सड़ने लगता है और उसके चारों ओर छोटी-छोटी फुंसियां बन जाती हैं, फोड़े आदि की प्रवृति पकने की होती है। शरीर के किसी भाग में साइनस हो सकता है। साइनस उस खोल या छेद को कहते हैं जो फोड़े से मिला होता है जिससे मवाद निकलता है। इस तरह का रोग यदि किसी ठण्डी प्रकृति वाले रोगी में हो तो उसके फोड़ों से खट्टी बदबू आती है। इस तरह के लक्षणों में रोगी को हिपर-सल्फर औषधि की 6, 30 या 200 शक्ति का सेवन करना चाहिए।
इग्नेशिया मूलार्क-
खून की खराबी के कारण फोड़े-फुंसियां उत्पन्न हो गई हो और वह जल्दी ठीक न हो रहा हो तथा मुंह व नाक व अन्य अंगों से तेज बदबू आती हो तो इस तरह के लक्षणों में रोगी इग्नेशिया औषधि का मूलार्क हर दो घंटे के अन्तर पर गर्म पानी के साथ मिलाकर देने से रोग में लाभ होता है। यदि खून की खराबी के कारण बार-बार फोड़े होते हो या गैंग्रीन के कारण खून में खराबी आई हो तो रोगी को इस औषधि का सेवन कराना हितकारी होता है।
प्रसव के बाद स्त्री के खून में खराबी के कारण उत्पन्न लक्षणों में इग्नेशिया औषधि का उपयोग करना हितकारी होता है।
बैप्टीशिया-
यदि किसी रोगी का खून दूषित होने के कारण टाइफाइड बुखार हो गया हो। रोगी की शारीरिक शक्ति कम हो गई हो, शरीर से बदबू आती हो तथा सांसों से बदबू आती हो। ऐसे लक्षणों में रोगी को बैप्टीशिया औषधि की 12 शक्ति का सेवन करना चाहिए। खून दूषित होने के कारण फोड़े हो गए हो, उससे सड़ांध की तरह बदबू आती है और साथ ही रोगी ऊंघता रहता हो तो ऐसे लक्षणों में भी रोगी को यह औषधि देनी लाभकारी होती है।
पाइरोजेन या सेप्सीन-
खून दूषित होने के कारण फोड़े-फुंसियां होना तथा उससे सड़ांध की तरह बदबू आना आदि में पाइरोजेन या सेप्सीन औषधि की 200 शक्ति का उपयोग किया जाता है। इस औषधि का प्रयोग विषैले गैस आदि से होने वाले रोग, टाइफायड आदि में भी लाभ होता है।
गर्भावस्था के दौरान होने वाले बुखार आदि में पाइरोजेन या सेप्सीन औषधि का उपयोग किया जाता है।
ऐन्थ्रैसीनम-
दूषित खून के कारण चेहरे पर मुंहासे होना, विषैले फोड़े होना, सड़ने वाले फोड़े तथा जख्म होना, कान की जड़ में जख्म होना, अंगुलहाड़ा तथा अनेक तरह के दानों तथा जख्मों में ऐन्थ्रैसीनम औषधि की 200 शक्ति या 1m का उपयोग करने से लाभ होता है। यह औषधि भेड़ की प्लीहा के फोड़े से बनाई जाती है।
गन पॉउडर-