मुद्रा के अभ्यास से पहले शौच क्रिया से निवृत हो जाना चाहिए। अपने दांतों को भी साफ कर लेना चाहिए और नहाकर मुद्रा करें तो सबसे अच्छा है। वैसे मुद्रा करने के बाद भी नहा सकते हैं। लेकिन मुद्रा करने से पहले पूरा शरीर बिल्कुल साफ होना चाहिए।..............................
|
योग के अभ्यास में मुद्राओं का बहुत महत्व है। इन मुद्राओं के अभ्यास से बुढ़ापा दूर होता है और आयु में वृद्धि होती है। योगियों के अनुसार इनके अभ्यास से संसार में मौजूद 8 प्रकार का ऐश्वर्य प्राप्त होता है। इससे व्यक्ति का शरीर स्वस्थ व निरोग रहता है। यह मन को शांत और एकाग्र करता है .............................
|
मुद्राएं कुण्डलिनी जागरण में अपना खास स्थान बनाए रखती हैं। बिना मुद्राओं के तो कुण्डलिनी जागरण मुश्किल है। मुद्राएं और कुण्डलिनी एक दूसरे के बिना पूरी नही हो सकती हैं। इसलिए कुण्डलिनी और मुद्राएं एक दूसरे की मददगार है। मुद्राएं कुण्डलिनी शक्ति को जगाती है क्योंकि मुद्राएं कुण्डलिनी शक्ति को जगाकर सुषुम्ना नाड़ी में पहुंचाती है।...............................
|
किसी भी व्यक्ति को जब कोई शारीरिक रोग घेर लेता है तो उसकी नाड़ी (नब्ज) और स्वर अनियमति रूप से चलने लगते हैं। जोकि जुकाम और बुखार होने पर महसूस भी होता है। मुद्राएं हमारी नाड़ियों पर बहुत ही असर डालती है। मुद्रा से ही रोगग्रस्त हालत में कोशिश करके स्वर और नाड़ियों को रोग के मुताबिक बदलने में बड़ी मदद मिलती है।..............................
|
किसी भी तरह की मुद्राओं को करने के बाद अगर योग निद्रा ली जाए तो सारी तरह के शारीरिक और मानसिक रोग पूरी तरह से समाप्त हो जाते हैं। मुद्राओं को करने से होने वाली थकान को योग निद्रा के द्वारा दूर किया जा सकता है। योग निद्रा जीवन जीने की ताकत को और मुद्राओं के असर को बढ़ाती है।...............................
|